Thursday, 9 July 2009

रामायण काल के सबूत

तेरने वाला पत्थर - जिसकी सहायता से पुल बनाया गया था
संजीवनी पर्वत - जहाँ से संजीवनी बूटी हुनमानजी द्वारा लायी गई थी , जब लक्ष्मन्जि मुर्छित हो गए थे




सुग्रीव की गुफा



अशोक वाटिका - जहाँ रावण ने सीता को अपहरण करने के बाद रखा था










लंका - जहाँ रावण निवास करता था ।












Tuesday, 7 July 2009

पाकिस्तान की ट्रक कला






















पाकिस्तान में ट्रक पेंटिंग बहुत ही मशहूर है । यह कला पाकिस्तानी ट्रांसपोर्ट परम्परा का एक बहुत ही महत्वयापूर्ण हिस्सा है। पाकिस्तान में ट्रक जो फोर्ड , जर्नल मोटर्स और हीनो पाक द्वारा बनाये जाते हैं ,एक सुंदर एरोदय्नामिक आक्रति लिए हुए होते हैं । इन पाकिस्तानी ट्रकों की बॉडी स्ट्रीट कलाकारों द्वारा पैंट की जाती है जो पुरे देश में ट्रक स्टैंड पर मिलते हैं ।

Monday, 30 March 2009

आज की पत्रकारिता


एक जमाने में पत्रकारिता को जीने वाले और समझने वाले खादी का कुरता पहने , चप्पल पहने , आंखों में चश्मा लगाए , एक झोले में ख़बरों के साथ विचारों को लेकर सीना तानकर चलते हुए दिख जाया करते थे । देखने से ही लगता था की ये तो पत्रकार महोदय हैं । तब वे समाज का आइना कहे जाते थे । तब के दोर में पत्रकारिता को विश्व और समाज का चोथा स्थम्भ कहने में कोई बुराई नज़र नही आती थी । किसी पत्र -पत्रिका में छपी ख़बर से जन आन्दोलन हो जाया करते थे । सरकारें गिर जाया करती थीं । समाज परिवर्तित हो जाया करता था । रोड पर न्यूज़ पेपर बांटने वाला होक्कर भी ख़बरों की महत्ता को समझकर न्यूज़ की हेडलाइन को चीख -चीख कर पढ़ता था और जन समूह उस अखबार को खरीदने के लिए टूट पड़ता था । आख़िर कहाँ गए वो दिन ? क्यों बदल गई वो सोच ? खादी का कुरता कहाँ खो गया ? आज आइना हमें आँखों से आँखें मिलाने क्यों नही देता ? क्योंकि अब पत्रिकारिता उस के पास नही रही जिनके पास विचारों का तो भण्डार है लेकिन पैसा नहीं है। जिनके पास ख़बर लिखने के लिए हाथों में दम तो है पर वो पेपर नहीं जो उनकी ख़बर छाप सके । शासन और प्रशासन की जी हुजूरी करने वाले पत्रकारों के लिए तो उनका ख़ुद का फाउन्टेन पेन अपने कोख से स्याही निकालते घबराता होगा । दिया बुझने वाला है - फिर जला दो इस दिए को । तेरा कलम कह रहा है-बदल दो बदली सोच को ।

Wednesday, 18 February 2009

नया नया अनुभव

ये मेरा लिखने का पहला पहला अनुभव है। कभी-कभी बहुत सी बातें ऐसी होती हैं की जब तक आप उनको किसी को बताएं नहीं या कहीं लिखे नही तब तक आपको चैन नही आता या कहें की दिल पर एक बोझ सा लगता है । ब्लॉग एक ऐसा माध्यम है जो मेरे इस बोझ को हल्का कर देगा । और इसी वजह से मैं इस माध्यम से जुडा हूँ
और आशा करता हूँ की आप सभी मुझे अच्छा रेस्पोंस देंगे ।
धन्यवाद