पाकिस्तान में ट्रक पेंटिंग बहुत ही मशहूर है । यह कला पाकिस्तानी ट्रांसपोर्ट परम्परा का एक बहुत ही महत्वयापूर्ण हिस्सा है। पाकिस्तान में ट्रक जो फोर्ड , जर्नल मोटर्स और हीनो पाक द्वारा बनाये जाते हैं ,एक सुंदर एरोदय्नामिक आक्रति लिए हुए होते हैं । इन पाकिस्तानी ट्रकों की बॉडी स्ट्रीट कलाकारों द्वारा पैंट की जाती है जो पुरे देश में ट्रक स्टैंड पर मिलते हैं ।
Tuesday 7 July 2009
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वाह!! बहुत सुन्दर. आभार आपका इसे बांटने के लिए.
ReplyDeleteबहुत सुंदर! अभी पाकिस्तान पर जब तालिबान हावी हो रहे थे, मैं टीवी पर पाकिस्तान से जुड़े समाचार खोज-खोजकर देखता था। स्वात से पलायन कर रहे लोगों के काफी फुटेज टीवी वाले दिखा भी रहे थे। उनमें ट्रकों में भर-भरकर जा रहे लोगों की तस्वीरें भी थीं। इनमें जो बात बरबस मुझे आकर्षित करती थी, वह इन ट्रकों का विचित्र बनाव-शृंगार था। मैं यही सोचता था, ट्रक तो हमारे यहां भी खूब चलते हैं, लेकिन उनके सोलह शृंगार करने की प्रवृत्ति यहां कम ही देखी जाती है। ज्यादा से ज्यादा कुछ स्लोगन पेंट कर दिए, या आगे पीछे कुछ रिबन आदि लटका दिए बस! लाखों खर्च करके उनका इंटीरियर कराना यहां कम ही देखा जाता है।
ReplyDeleteसोचता हूं, ऐसा क्यों? आखिर पाकिस्तान और भारत एक ही संस्कृति के दो रूप हैं, लोग भी वही हैं, अभिरुचियां भी वहीं, पर इस मामले में इतना फर्क क्यों?
मुझे लगता है, यहां स्वामित्व का मामला है। शायद पाकिस्तान के ट्रकों को स्वयं उनके मालिक और उसके परिवार जन चलाते हों और इसलिए उनके लिए ट्रक घर का ही विस्तार हो, और जैस हम अपने घर को समजाने में पैसा पानी की तरह बहा देते हैं, वे ट्रकों पर पैसा बरसा देते हैं।
जब कि भारत में ट्रक पैसे कमाने के साधन भर हैं। ट्रक-मालिक स्वयं अपने ट्रकों को नहीं चलाता है। वह चंद पैसों में ड्राइवर-क्लीनर रख लेता है। कई ट्रक मालिकों ने तो अपने ट्रक को देखा भी नहीं होता है, वे उनके लिए सिर्फ एक नंबर होते हैं।
इसलिए यहां ट्रकों के साथ आत्मीय भाव मालिक का नहीं, बल्कि ड्राइवर-क्लीनर का होता है। उनमें इतनी आर्थिक क्षमता ही कहां होती है कि ट्रक का सोलह शृंगार करवा सकें।
एक अच्छा और सार्थक पोस्ट, बधाई!
बढ़िया
ReplyDeleteइसे साझा करने लिए आपका आभार
waah..
ReplyDeletekya bat hai...
kafi sundar...
pasand aaya kafi pasand.
aapke duaon ka talabgar..
afsar
http;//afsarpathan.blogspot.com