Wednesday 17 August 2011

बढे चलो, बढे चलो

न हाथ एक शस्त्र हो
न हाथ एक अश्त्र हो
अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं , डरो नहीं
बढे चलो , बढे चलो

रहे समक्ष हिम शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाये जन बिखर
रुको नहीं , झुको नहीं
बढे चलो, बढे चलो

घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूँट हो
जियो चलो , मरे चलो
बढे चलो , बढे चलो

गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हो
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वहीँ ,गड़ो वहीँ
बढे चलो , बढे चलो

चलो नयी मिसाल हो
जलो नयी मशाल हो
बढ़ो नया कमाल हो
झुको नहीं , रुको नहीं
बढे चलो , बढे चलो

अशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं , मरो नहीं
बढे चलो , बढे चलो

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