Sunday 11 September 2011

नज़रिया

एक आदमी मेले में गुब्बारे बेचकर अपनी गुजर- बसर करता था । उसके पास लाल , पीले , नीले , हरे - चारों रंग के गुब्बारे थे । जब कभी उसकी बिक्री कम होने लगती , तब वह हीलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता । बच्चे उसे उड़ता देखकर , वैसा ही उड़ने वाला गुब्बारा पाने के लिए मचल उठते । बच्चे उससे गुब्बारा खरीदते और इस तरह उसकी बिक्री फिर से बढ़ जाती । दिन भर यही सिलसिला चलता रहता । एक दिन वह आदमी बाज़ार में खड़ा गुब्बारे बेच रहा था । अचानक उसे महसूस हुआ कि पीछे से उसका कोई कुरता पकड़कर खीच रहा है । उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक छोटे से बच्चे को खड़ा पाया । उस बच्चे ने गुब्बारे वाले से पूछा, "अगर आप काला गुब्बारा छोड़ेंगे तो क्या वह भी उड़ेगा ? " बच्चे की बात उसके दिल में लगी और उसने प्यार से जबाब दिया , " बेटे , गुब्बारा अपने रंग की वजह से नहीं उड़ता , बल्कि उसके अन्दर क्या है , इस वजह से ही वह ऊपर जाता है । "


ठीक यही बात हमारी जिंदगी पर भी लागू होती है । कीमती वह चीज है , जो हमारे अन्दर है । और वह चीज जो हमें ऊपर की ओर ले जाती है , वह हमारा नज़रिया है ।

No comments:

Post a Comment