Wednesday 21 September 2011

कई बार जीत से ज्यादा हार में विजय होती है

कुछसेल्समेन के एक ग्रुप ने मीटिंग के लिए शहर से बाहर जाते समय अपने परिवार वालों से कहा कि वे शुक्रवार की रात को खाने के समय तक आ जायेंगे । लेकिन जैसा कि इस तरह के दौरों में होता है , एक के बाद एक काम होने की वजह से वे निश्चित समय पर काम पूरा न कर सके । उन्हें देर हो चुकी थी और उन्हें जहाज पकड़ना था । वे भागते -भागते आखिरी समय में एअरपोर्ट पहुंचे , टिकेट उनके हाथों में थे और वे आशा कर रहे थे कि जहाज अभी शायद न उड़ा हो । इसी भाग दौड़ में उनमे से एक उस मेज से टकरा गया जिस पर फलों का एक टोकरा रखा था । सारे फल इधर -उधर बिखर गए और ख़राब हो गए , लेकिन उनके पास रुकने का समय नहीं था । वे दौड़ते रहे और जहाज के अन्दर पहुंचकर उन्होंने चैन कि सांस ली , सिर्फ एक को छोड़कर । उसे उसकी भावनाओं ने छुआ । उसने अपने साथियों को अलविदा कहा और लौट आया । उसने जो कुछ देखा उससे उसे अहसास हुआ कि उसने बाहर आकर ठीक किया है । वह उस गिरी हुयी मेज के पास गया और उसने उस मेज़ के पीछे एक दस साल की अंधी बच्ची को देखा जो रोज़ी -रोटी के लिए फल बेचती थी । उसने कहा , " मुझे उम्मीद है कि हमने तुम्हारा बहुत नुक्सान नहीं किया है । तुम्हारा दिन ख़राब नहीं किया है । " उसने १० डॉलर जेब से निकालकर उस लड़की को दिए और कहा , "यह तुम्हारा नुक्सान पूरा कर देगा । " और इसके बाद वह चला गया । लड़की यह सब कुछ देख तो न सकी , वह केवल दूर जाते हुए क़दमों कि आवाज़ सुन पा रही थी । जैसे ही जाते क़दमों की आवाज़ धीमी हुयी , लड़की ने जोर से आवाज़ लगाई , "क्या आप भगवान हैं ?" उस सेल्समेन का जहाज़ तो छूट गया , लेकिन क्या वह विजेता था ? यक़ीनन । यदि जीत को सही नज़रिये से न देखा जाये तो बिना मेडल के भी कोई विजेता हो सकता है और मैडल जीत कर भी हारने वाला हो सकता है ।

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